मुंबई, केंद्र सरकार की नीतियों के चलते देश में मंहगाई सुरसा की तरह अपना मुंह बाए खड़ी है। आम आदमी मंहगाई से त्रस्त है। हालत यह हो गई है कि अब वह ठीक ढंग से हजामत भी नहीं करवा पा रहा है क्योंकि अब हजामत भी मंहगी हो गई है। इस बढ़े दाम ने गरीब तबके को ज्यादा प्रभावित किया है जो हजामत के लिए सैलून पर आश्रित रहता है।
कोरोना की पहली लहर में सैलूनों से ज्यादा खतरा होने की वजह से उन्हें पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। इस कारण सैलून मालिक अपनी दुकानों में ताला लगाकर अपने गांव चले गए थे, जिससे उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन स्थिति सामान्य होने के बाद अब धीरे-धीरे सैलून खुलने लगे हैं। मालिक और कारीगर मुंबई लौटने लगे हैं। अब ग्राहकों को पहले की अपेक्षा हजामत के लिए ज्यादा रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। बढ़ी हुई हजामत के विषय में भुलेश्वर के सैलून मालिक सज्जात सलमानी कहते हैं कि सैलून में उपयोग होनेवाली सामग्री कोरोना के बाद २० से २५ प्रतिशत बढ़ गई है। पहले हमारे यहां ग्राहक वेटिंग में रहते थे। अब हमें ग्राहकों का वेट करना पड़ता है। पहले हम दाढ़ी-बाल के लिए सिले हुए कपड़े तथा तौलिए का उपयोग करते थे। अब यूज एंड थ्रो किट का इस्तेमाल करना पड़ता है। पहले हम दाढ़ी के बाद ग्राहकों के मुंह को साफ तौलिए से पोंछते थे, अब उसकी जगह टिश्यू पेपर ने ले लिया है। ग्राहकों को कुर्सी पर बैठने से पहले पूरी तरह से कुर्सी को सेनेटाइज किया जाता है। मांग ज्यादा होने से सेनेटाइजर बनानेवाली कंपनियों ने भी भाव बढ़ा दिया है। यही हाल पावडर, क्रीम, लोशन, फोम आदि का है। दहिसर आनंद नगर में सैलून चलानेवाले रमेश शर्मा कहते हैं कि बढ़ती मंहगाई ने हमारे व्यवसाय पर भी असर किया है। जहां हम चार कुर्सियों पर काम करते थे, अब मुश्किल से दो कुर्सी का ही काम आता है। मध्य रेलवे माटुंगा मिडास सैलून के संचालक सुनील शर्मा बताते हैं कि ७० से ८० रुपए में मिलनेवाली कैंची का दाम १०० रुपया हो गया है। इसी तरह २० वाली सेविंग स्कीम के लिए ४० से ५० रुपए देने पड़ रहे हैं। यही हाल ब्लेड, क्रीम, लोशन तथा फोम का है। हर सामान पर हमें २० से ३० रुपए ज्यादा देना पड़ रहा है। दूकान मालिक माल की कमी का बहाना बनाकर फटकार लगाते हैं। कहते हैं कि लेना है तो लो नहीं तो आगे बढ़ो।


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