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मुंबई : राज्य में वर्ष 1999 में सत्ता में कांग्रेस -राकांपा की आघाड़ी सरकार आने के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज के स्मारक निर्माण की घोषणा की थी लेकिन 15 वर्ष सत्ता में रहते हुए  उन्होंने स्मारक के लिए कुछ नहीं किया। अब जब राज्य में भाजपा और शिवसेना महायुति की सत्ता स्मारक निर्माण के लिए काम कर रही है तो उसको लेकर दोनों पार्टियां  दोषारोपण कर रही हैं। सोमवार को कांग्रेस और राकांपा द्वारा लगाए गए स्मारक में घोटाले के आरोप का जवाब देते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने यह बात कही। कांग्रेस  के प्रवक्ता सचिन सावंत और राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक पर निशाना साधते हुए पाटिल ने कहा कि दोनों प्रवक्ताओं को समझ नहीं है। इन प्रवक्ताओं के कारण जनता परेशान है।  उन्हें पहले समझना चाहिए कि यह एक विशेष परियोजना है। पहले ऐसा कोई प्रोजेक्ट नहीं बनाया गया है। इसलिए, सरकार ने एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के लिए निविदाएं मांगी   थीं। निविदा सूचना में आधार मूल्य के रूप में 2692.50 करोड़ का उल्लेख नहीं किया गया था। पूरी परियोजना की तैयारी के लिए खुली निविदा द्वारा तैयार किया गया था। साथ ही  परियोजना की लागत और निर्माण भी किया गया था, ताकि परियोजना को विश्वसनीय माना जा सके। इसलिए, यह सवाल कि क्या प्राप्त ऋण अधिक या अनुमानित लागत से कम  है, यहां लागू नहीं होता है। इन मामलों को देखते हुए, निविदाकर्ताओं के साथ बातचीत करना संभव है। चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि 2,581 प्लस जीएसटी तय किया गया था। प्रस्ताव  को कानून और न्याय विभाग द्वारा अनुमोदित किया गया था और विभाग द्वारा संशोधित निविदा मसौदे की भी जांच की गई थी।

क्लेरियन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ठेकेदार एलएंडटी को अब तक कोई भुगतान नहीं किया गया है। इसके पहले विधानसभा में मुख्यमंत्री फड़नवीस इस पर एक विस्तृत जानकारी  दे चुके हैं। बता दें कि सोमवार को अरब सागर में प्रस्तावित छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक को लेकर कांग्रेस और राकांपा ने संयुक्त पत्रकार परिषद आयोजित की थी, जिसमें  प्रवक्ता सचिन सावंत और नवाब मलिक ने सरकार पर शिव स्मारक में एक हजार करोड़ का भारी घोटाला होने का आरोप लगाया था, जिसके जवाब में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने यह बात कही।


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