भिवंडी : सड़कों पर हुए गड्ढों के कारण अनेक लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन सरकार इससे आंखें मूंदे हुए है और प्रशासन सुस्त पड़ा है। पिछले एक साल में ही मुंबई और उपनगरों में कई लोग गड्ढों के चलते जान गंवा चुके हैं। गुरुवार की रात भिवंडी में भी एक ऐसे ही हादसे में महिला की जान चली गई। यहां आईजीएम हॉस्पिटल के सामने सड़क पार करते समय महिला गड्ढे में गिर गई और पीछे से आ रहे डंपर ने उसे कुचल दिया। भिवंडी में एक साल के भीतर गड्ढों के चलते छह लोगों की जान जा चुकी है। कोंडाजीवाडी की गंगूबाई आंची (55) गुरुवार की रात लगभग साढ़े आठ बजे बाजार से सामान लेकर आईजीएम हॉस्पिटल के सामने सड़क पार कर रही थीं। इस दौरान सड़क पर मौजूद गड्ढे में वह फिसल गईं। जब तक वह संभलतीं, तब तक तेज गति से आ रहे डंपर ने उन्हें रौंद दिया। इस हादसे में घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई। दुर्घटना की सूचना मिलते ही निजामपुर पुलिस स्टेशन की उपनिरीक्षक वैशाली गुलवे पुलिस दल के साथ मौके पर पहुंचीं और लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए आईजीएम हॉस्पिटल भेज दिया। पुलिस ने इस मामले में डंपर क्रमांक-एमएच-48/ एजी 7611 के चालक दत्ता काले के विरुद्ध मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है।

इस साल भिवंडी में गड्ढों के कारण छह लोगों की मौत हो चुकी है। राजनोली नाके के पास सड़क पर हुए गड्ढे में फिसलकर गिरने से राजिक खान (20) की मौत हो चुकी है। सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं भिवंडी-वाडा रोड पर हुई हैं। बीते महीने भिवंडी-वाडा रोड पर अंबाडी के पास डॉ. नेहा शेख (24) की मौत हुई थी। डॉ. नेहा शेख की शादी होने वाली थी और वह अपने मामा के साथ शादी का सामान खरीदकर घर लौट रही थी, तभी उनकी स्कूटी गड्ढे में गिर गई और पीछे से किसी अज्ञात वाहन ने उन्हें रौंद दिया था। इसी तरह कुडूस के पास सड़क पार कर रहे सुरक्षा रक्षक रामप्रसाद गोस्वामी (60) की मौत भी गड्ढे में गिरने से मौत हुई थी। बापगांव के पास गड्ढे में गिरने से ऐक्टिवा सवार सुचित्रा वडोरा (17) की मौत हो गई थी और उनकी सहेली गंभीर रूप से घायल हो गई थी। मुंबई-नासिक हाइवे पर पुलिसकर्मी दादासो सिंगे (35) की भी मौत हो चुकी है। इसी हाइवे पर सतीश ठाकरे (46) की भी मौत हुई थी| गड्ढों के कारण हुई मौतों के चलते स्थानीय लोगों ने आंदोलन भी किया था, लेकिन प्रशासन ने सिर्फ आश्वासन दिया। कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका (केडीएमसी) की महासभा में सड़क के गड्ढों को लेकर बीजेपी और शिवसेना में टकराव बढ़ गया। राज्य में बीजेपी और शिवसेना का टकराव केडीएमसी में भी देखने को मिला। मनसे विरोधी पक्ष नेता प्रकाश भोइर ने कहा कि जब तक गड्ढे भरे नहीं जाते, तब तक सभा नहीं होनी चाहिए। महापौर ने भोइर की बातों को नजरअंदाज कर दिया। इस पर बीजेपी के लोगों ने मतदान करने की बात कही, लेकिन महापौर नहीं मानीं। इसके बाद वहीं बीजेपी के लोग और मनसे के नगरसेवक महासभा से उठकर चले गए। सभा में शिवसेना अकेली दिखाई पड़ी।


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