बिहार के कई इलाकों में टिड्डियों के दल ने फसल और पेड़-पौधों पर हमला बोल दिया है। रोहतास में दो दिन पहले छोटे दल ने हमला किया था। शनिवार को बहुत बड़ा दल विक्रमगंज इलाके में दिखा है। इसके अलावा चंपारण और उत्तर बिहार के कई इलाकों में भी टिड्डियों का दल पहुंच चुका है। कृषि विभाग ने किसानों के साथ अधिकारियों को भी सतर्क कर दिया है।

उत्तर प्रदेश से सटे बिहार के जिलों में टिड्डियों के पहुंचने की सूचना पर कृषि मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से खुद आपात बैठक की। पौधा संरक्षण विभाग को विशेष हिदायत दी। कृषि मंत्री ने बताया कि टिड्डियों को भगाने के उपाय किए जा रहे हैं। कीटनाशक छिड़की जा रही हैं। कृषि अधिकारी, फायर ब्रिगेड की गाड़ी के साथ किसान भी आवश्यक रसायन के साथ टिड्डियों का पीछा कर रहे हैं। अधिकारी-कर्मचारी भी टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए मौके पर डटे हुए हैं। विभाग को रोहतास इलाके में दोबारा दल के पहुंचने की सूचना नहीं है।

पश्चिम चंपारण के नरकटियागंज प्रखंड के चमुआ गांव एवं नौतन प्रखंड के मंगलपुर क्षेत्रों में गन्ने की फसलों पर टिड्डियों का छोटा दल देखा गया है। पूर्व की तरफ से उड़ते हुए हरिनगर तक पहुंचा है। पूर्वी चंपारण को भी खतरा है। यूपी के ठकराहां, बिहार के सीवान, गोपालगंज एवं मधुबनी के ऊपर से उड़ते देखा गया है। उड़ान की दिशा हथुआ की ओर है।

कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार की सतर्कता की वजह से दो दिन पहले रोहतास एवं कैमूर जिले में टिड्डियों के हमले से फसलों को बचा लिया गया है। अब दूसरे दल ने यूपी की ओर से बिहार में प्रवेश की कोशिश की है। कृषि विभाग एवं जिला प्रशासन को अलर्ट कर दिया गया है। यूपी सीमा से सटे जिलों में किसानों को प्रशिक्षित किया गया है। कृषि विभाग के अधिकारी भी मौके पर ही रात में भी रुक रहे हैं। टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए जरूरी उपकरण एवं दवाएं उपलब्ध हैं।

टिड्डियों को देख सकते में किसान

टिड्डियों को देखकर किसान सकते हैं। इतना बड़ा टिड्डियों का झुंड उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। दौनाहा के किसान संजय मिश्र, सुनील बैठा, संदेश यादव, राजू पटेल आदि ने बताया कि वे खेत में धान की रोपनी को देखने गये थे। तभी आकाश में टिड्डियों का विशाल झुंड दिखा। देखते ही देखते वे नीचे उतरने लगे। डर के मारे वे लोग वहां से भाग निकले। आगे जाकर देखा तो वे फसलों पर बैठ गये थे और उसे चट करने लगे।

टिड्डी से ऐसे कर सकते हैं बचाव

कृषि विज्ञानिक अनुपमा कुमारी के अनुसार, टिड्डी दल हजारों की संख्या में आगे बढ़ते हैं। रात में जब टिड्डी दल आराम करता है, तब इसपर क्लोरोपायरीफॉस कीटनाशक का छिड़काव कर इसको रोका जा सकता है। वैसे इसे भगाने का पारंपरिक तरीका भी अपनाया जाता है। लोग थाली, ढोल और तरह-तरह के आवाज कर इसे भगाते हैं।

मौसम के बदले मिजाज से घुसा दल

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, मौसम के बदले मिजाज के कारण भारत में टिड्डी का आक्रमण हुआ है। भारत में बारिश इस वर्ष काफी अधिक हुई है। उत्तर बिहार में अप्रैल में इतनी अधिक बारिश हुई है कि 20 वर्षों का रिकॉर्ड टूट गया है। उत्तर बिहार में नमी काफी अधिक बनी हुई है। टिड्डी नमी वाले इलाके में तेजी से प्रवेश करते हैं।

एक दिन में 200 किमी की दूरी तय करता

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, एक दिन में टिड्डी दल 200 किमी की दूरी तय करता है। टिड्डी दल रात में आगे नहीं बढ़ता है। शाम में सभी एक जगह में एकत्र होकर पेड़,पौधे व खेत में लगी फसलों पर आराम करते हैं।


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