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मुंबई : एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी धारावी (Covid 19 in Dharavi) को लगभग कोरोना मुक्त करने में अहम भूमिका निभाने वाले जी-नॉर्थ वॉर्ड के असिस्टेंट कमिश्नर किरण दिघावकर (Kiran Dighavkar) ने कहा कि हमारा एकमात्र टारगेट चेस द वायरस था। क्योंकि यहां की भौगोलिक स्थिति और लोगों की जीवनशैली ऐसी है कि हम उनके सामने आने का इंतजार नहीं कर सकते थे। इसलिए हमने स्क्रीनिंग, फीवर क्लिनिक, सर्वे और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग पर जोर दिया। उसका नतीजा आज सामने है। कभी धारावी में 100 से अधिक केस एक दिन में सामने आते थे, जो अब 2 केस तक आ गए हैं।
1 अप्रैल को धारावी में कोरोना का पहला केस सामने आने के पहले ही हमें आशंका थी कि यहां स्थिति बिगड़ सकती है। क्योंकि 80 प्रतिशत लोग सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करते हैं। 8 से 10 लाख आबादी वाले उस इलाके में एक छोटे से घर में 10 से 15 लोग रहते हैं। इसलिए सबको न तो होम आइसोलेशन किया जा सकता है और न ही लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर सकते हैं।

इसीलिए जब मामले सामने आने लगे तब हमने चेस द वायरस के तहत काम करना शुरू किया। इसके तहत कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग, फीवर कैंप, लोगों को आइसोलेट करना और टेस्ट करना शुरू किया। स्कूल, कॉलेज को क्वारंटीन सेंटर बनाया गया। वहां अच्छे डॉक्टर, नर्स और 3 टाइम अच्छा खाना दिया गया। रमजान के समय मुस्लिम लोगों को डर था, लेकिन क्वारंटीन सेंटर में बेहतर सुविधाओं को देखते हुए वे खुद सामने आए।

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