मुंबई : कोरोना से चौपट हुआ धारावी का लघु उद्योग
मुंबई : एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी धारावी में कोरोना कहर बन कर टूटा था. यहां पर 2507 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. 2116 लोग ठीक भी हुए हैं, जबकि 416 लोगों की मौत हुई है. धारावी में संकरी गलियां, सार्वजनिक शौचालय का उपयोग और बेहद घनी बस्ती में कोरोना का प्रसार तेजी से होने लगा तो यहां के सैकड़ों लघु उद्योग में काम करने वाले मजदूर पलायन के लिए विवश हो गए. धारावी के इन लघु उद्योगों से हजारों लोगों का जीवन यापन चलता. कोरोना वायरस के कारण यहां के उद्योग भी पूरी तरह से ठप पड़ गए.
धारावी में चमड़ा बैग कारोबार के अलावा बड़े-बड़े गारमेंट्स कारखाने भी हैं. इन कारखानों में चलने वाली सिलाई मशीनों का शोर भी मजदूरों के पलायन से थम गया. सवाल जब रोजी-रोटी का हो आदमी कार्य करने को मजबूर हो जाता है. जब सब कुछ बंद है तो गारमेंट्स मालिकों ने कोरोना को अवसर के रुप में परिवर्तित करने की ठान ली. यहां के अधिकांश गारमेंट्स अब पीपीई किट और मास्क का निर्माण करने में जुट गए हैं. ऐसे ही गार्मेंट्स चलाने वाले राजेश केवार ने बताया कि यहां के गारमेंट्स प्रतिदिन 7 से 8 हजार पीपीई किट, फेस मास्क और फेस शील्ड का निर्माण कर रहे हैं.
केवार ने बताया कि वे डॉ. फारुकी के शॉप को किराए पर लेकर गारमेंट्स चलाते थे. लॉकडाउन में सब बंद था मजदूर भी गांव चले गए थे. डॉ. फारुकी से पीपीई किट बनाने का आइडिया मिला. गारमेंट्स में बैग निर्माण का काम बंद है तो यही सही. अब यहां के गारमेंट्स वाले पीपीई किट के अलावा फेस मास्क और फेस शील्ड बना रहे हैं. कोरोना संक्रमण रोकने में कारगर पीपीई किट का दाम आसमान पर है. हम सबसे सस्ता किट बना रहे हैं. हमारे यहां 70 जीएसएम से लेकर 300 जीएसएम तक का मास्क तैयार कर रहे हैं जिसकी कीमत 135 रुपये से 250 रुपये तक है. इसी तरह मास्क की कीमत1 रुपये से लेकर 25 रुपये तक है. फेस शील्ड 32 रुपये से लेकर 70 रपये तक का है. धारावी में 15 से 20 गारमेंट व्यवसायी इसी धंधे में लगे हैं.
गारमेंट व्यवसायी अपने गांव वापस लौट गए कारीगरों को वापस बुला रहे हैं. उनका मानना है कि अभी एक साल तक इसकी डिमांड रहेगी. जब तक पुराना व्यवसाय पटरी पर नहीं आ जाता इससे ही काम चलाना पड़ेगा. यहां का पीपीई किट अस्पतालों को भेजा जा रहा है, लेकिन इसकी क्वालिटी की जांच नहीं की जा रही है.
भारतीय मानक ब्यूरो के पास एन-95 मास्क जांच की सुविधा नहीं है. केंद्रीय संस्था होने के बाद भी मानक ब्यूरो को एन-95 मास्क की गुणवत्ता जांच के लिए मास्क को पनवेल स्थित वीनस कंपनी के पास भेजा जा रहा है. बीआइएस के वैज्ञानिक फरीदाबाद से मास्क के सेंपल जांच के लिए पनवेल भेज रहे हैं. फिर छोटे- छोटे शहरों में बन रहे मास्क की गुणवत्ता मानकों पर कितनी खरी उतर रही है इस पर संदेह है.