मुंबई, कोरोना के इस दौर में जहां कई परियोजनाओं की रफ्तार धीमी पड़ चुकी है तो कई काम थम चुके हैं लेकिन रेलवे की मिशन रफ्तार योजनाओं को गति मिल रही है। ट्रेनों की गति बढ़ाकर मुंबई से दिल्ली के बीच यात्रा का समय १६ घंटे से घटाकर १२ घंटे तक लानेवाले इस प्रोजेक्ट के लिए पश्चिम रेलवे ने काम की शुरुआत कर दी है।

‘मिशन रफ्तार’ के तहत रेलवे ट्रेनों की औसत गति १६० किमी प्रतिघंटा करना चाहती है, जो फिलहाल ७० से ८० किमी प्रतिघंटा के बीच में है। इस प्रोजेक्ट में मुंबई-दिल्ली कॉरिडोर का नाम भी शामिल है। इस ६,६६१ करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट के लिए लिए पश्चिम रेलवे ने प्रमुख काम की शुरुआत की है। इस प्रोजेक्ट के चर्चगेट से सूरत तक ट्रैक को मजबूत किया जाएगा। पटरियों के नीचेवाले बेस को चौड़ा किया जा रहा है ताकि स्पीड में भी स्थिरता बनी रहे। इसके अलावा पहली बार विरार और सूरत के बीच २५०००-वोल्ट (२५ हजार वोल्ट की दो अलग पावर लाइन) पावर लाइन बनाने की शुरुआत होगी। इन दोनों कामों के लिए रेलवे ने टेंडर निकाल दिया है।

मुंबई और दिल्ली के बीच इस सेमी हाई स्पीड कॉरिडोर के कारण यात्रा का समय १२ घंटे तक सिमट जाएगा। प्रोजेक्ट से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि १७.७२ करोड़ रुपए खर्च करके पटरियों के नीचे सेस को चौड़ा किया जाएगा। पत्थर की गिट्टियों और ट्रैक के बीच की जगह को सेस कहते हैं। स्पीड के लिए ट्रैक की मजबूती जरूरी है। रेलवे इंजीनियर के मुताबिक जितना सेस चौड़ा होता है, यात्रा के दौरान उतने की कम झटके लगते हैं।

हालांकि इस प्रोजेक्ट के लिए ट्रेनों की औसत गति तो १६० किमी प्रति घंटा करनी है लेकिन बताया जा रहा है कि रफ्तार को २०० प्रति घंटा तक बढ़ाया जा सकता है। ये पूरा काम ट्रैक को मजबूत करके ही होगा। रेलवे के अधिकारी के अनुसार ट्रैक को मजबूत करके गति तो बढ़ सकती है लेकिन जब गति २०० किमी प्रतिघंटा पहुंचानी हो तो ब्रिज, सिग्नल, ओवर हेड वायर इत्यादि पर भी काम करना पड़ता है। इस प्रोजेक्ट में फिलहाल ट्रैक की क्षमता बढ़ाई जा रही है।

जेक्ट के दूसरे हिस्से में विरार से सूरत के बीच २५ हजार वोल्ट की दूसरी पावर लाइन बनानी है। अधिकारी ने बताया कि इससे ओवरहेड वायर मजबूत होंगे और ट्रेनों के परिचालन में अड़चन कम होगी। विरार से सूरत के बीच इस काम के लिए ३१.०४ करोड़ रुपए खर्च होंगे। अधिकारी के अनुसार दिल्ली मेट्रो के लिए इतनी बड़ी क्षमता की पावर लाइन का इस्तेमाल होता है। डेडिकेटेड प्रâेट कॉरिडोर के लिए भी इसका इस्तेमाल हुआ है।

‘मिशन रफ्तार’ के लिए इस साल के बजट में रेल मंत्रालय को १,३४० करोड़ रुपए सेंशन लिए गए थे। इस प्रोजेक्ट के लिए ११ नए रेल ब्रिज बनेंगे। ये ब्रिज विरार से दहाणू के बीच ६० किमी के कॉरिडोर पर बनेंगे। ब्रिजों का निर्माण विरार-दहाणू के बीच चार ट्रैक बनानेवाली परियोजना का भी हिस्सा है।


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