मुंबई व मुंब्रा की तरह भिवंडी में भी पहाड़ी खिसकने का खतरा
भिवंडी, कई दिनों से जारी मूसलाधार बारिश के कारण मुंबई व मुंब्रा की तरह भिवंडी शहर में भी पहाड़ी खिसकने का खतरा बढ़ गया है। इस कारण पहाड़ियों के ऊपर आशियाना बनाकर वर्षों से रहनेवाले हजारों लोगों का जीवन इस कारण खतरे में है। हर वर्ष यहां बारिश में पहाड़ी खिसकने के कारण झोपड़ों के तबाह होने की घटनाएं घटती हैं। इसके बावजूद मनपा के पास इन पहाड़ियों पर रहनेवालों की सुरक्षा की कोई योजना न होने के कारण बरसात के दिनों में मौत के बादल मंडराना शुरू हो गए हैं।
मालूम हो कि भिवंडी मनपा क्षेत्र में स्थित साठेनगर, अजमेर नगर, गदहा नगर, राम नगर, शांतिनगर, गायत्री नगर, नई बस्ती और नेहरूनगर सहित आधा दर्जन से अधिक पहाड़ियों पर बनी बस्तियां हैं। यहां पर हजारों लोग झोपड़पट्टी में रहते हैं। सूत्र बताते हैं कि इन झोपड़पट्टी में रास्ता न होने के कारण आग लगने अथवा अन्य घटना से निपटने के लिए इन झोपड़ों पर जाने के लिए एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड की गाड़ियों के जाने का कोई रास्ता नहीं है। इतना ही नहीं, इन पहाड़ियों पर रहनेवालों का जीवन हमेशा खतरे में पड़ा रहता है।
पिछले वर्ष साठेनगर नगर इलाके में पहाड़ी पर रहनेवाले पद्माकर पवार की भूस्खलन के कारण घर की दीवार गिर गई थी, जिसके कारण पांच रूम बर्बाद हो गए थे। इसके एक वर्ष पहले रामनगर पहाड़ी खिसक गई थी, जिसके कारण चार झोपड़े तबाह हो गए थे। जबकि वर्ष २००६ में बारिश के कारण गदहा नगर की पहाड़ी खिसक गई थी, जिसके कारण चार लोगों की मौत हो गई थी और छह लोग घायल हो गए थे। उसके बाद तत्कालीन मनपा आयुक्त ने पुन: इस घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए पहाड़ियों पर रहनेवालों की सुरक्षा के लिए हर पहाड़ी पर सुरक्षा दीवार बनाने का आदेश दिया था। लेकिन १४ साल बीतने के बाद भी एक पत्थर तक कहीं नहीं रखा गया।