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नई दिल्ली: जस्टिस यशवंत वर्मा की ओर से अपने खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति की जांच को सोमवार को चुनौती दी गई। इस पर शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान सवाल उठाया और कहा कि आखिर आप इतनी देर से समिति पर सवाल क्यों रहे हैं। बेंच ने पूछा कि यदि आपको जांच समिति पर आपत्ति थी और आप उसे असंवैधानिक मानते हैं तो फिर उसके समक्ष पेश क्यों नहीं हुए। कैश कांड में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच के लिए तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने एक जांच समिति का गठन किया था। इस समिति में तीन हाई कोर्ट्स के जजों को शामिल किया गया था।

इस मामले की समिति ने जांच की तो उसके समक्ष यशवंत सिन्हा ने भी पक्ष रखा था। अब इसी जांच समिति और उसकी रिपोर्ट पर जस्टिस वर्मा ने सवाल उठाए हैं। इस पर जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कहा कि आखिर आप इतने दिन तक इंतजार क्यों करते रहे। आपने जांच रिपोर्ट आने तक इंतजार किया। सुप्रीम कोर्ट में यह रिपोर्ट सौंप दी गई और आप अब जाकर इस समिति की संवैधानिकता पर सवाल उठा रहे हैं। जस्टिस दत्ता ने कहा, 'आपने तब कोई चुनौती क्यों नहीं दी, जब समिति बनी थी। आपने अब तक इंतजार क्यों किया?'

इस पर जस्टिस यशवंत वर्मा का पक्ष रख रहे वकील कपिल सिब्बल ने अलग ही दलील दी। उन्होंने कहा कि इस समिति की जांच में यह नहीं पता चल पाया कि आखिर वह कैश किसका था, जिसके आधार पर यह पूरा मामला चल रहा है। उन्होंने कहा कि हमने इसलिए कमेटी को चैलेंज नहीं किया था क्योंकि हमें लग रहा था कि वे पता लगा लेंगे कि आखिर कैश किसका है। जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवास पर 14 मार्च को बड़े पैमाने पर कैश पाया गया था। इसी मामले की जांच में उन्हें दोषी पाया गया था। इसके बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस ने उनके खिलाफ महाभियोग की सिफारिश करते हुए पीएम और राष्ट्रपति को चिट्टी लिखी थी। फिलहाल इसी संबंध में लोकसभा और राज्यसभा में प्रस्ताव लाने की तैयारी है।

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