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मुंबई: राज्य में बगैर किसी मान्यता और अधूरी ट्रेनिंग के चल रही हजारों निजी सुरक्षा एजेंसियों पर अब सरकार की गाज गिरने वाली है। महायुति सरकार ने निजी सुरक्षा रक्षक और पर्यवेक्षक प्रशिक्षण संस्थाओं के लिए सख्त नियम लागू करते हुए मानक कार्यप्रणाली जारी कर दी है। इसके तहत अब किसी भी संस्था को तब तक लाइसेंस नहीं मिलेगा, जब तक वह तयशुदा प्रशिक्षण, योग्य प्रशिक्षक, आधारभूत सुविधा और प्रमाणपत्र प्रक्रिया का कड़ाई से पालन नहीं करती। सरकार के इस निर्णय से जहां गुणवत्ता बढ़ने की उम्मीद है, वहीं नियमों पर खरी न उतरने वाली सैकड़ों एजेंसियों के बंद होने का खतरा मंडराने लगा है। इससे हजारों गार्ड्स की नौकरियों पर भी संकट के बादल घिरते दिख रहे हैं। इसे लेकर निजी सुरक्षा मुहैया कराने वाली कई एजेंसियों के चालकों में चिंता की लहर दौड़ पड़ी है।

उल्लेखनीय है कि निजी सुरक्षा रक्षकों और पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षित करने वाली संस्थाओं के लिए महायुति सरकार ने अब सख्ती का रास्ता अपनाया है। गृह विभाग ने कल से मानक कार्यप्रणाली लागू कर दी है, जो पूरे राज्य में तत्काल प्रभाव से लागू मानी जाएगी। इसके तहत अब बिना निर्धारित ट्रेनिंग, बुनियादी सुविधाएं, प्रशिक्षकों की पात्रता और वैध दस्तावेजों के कोई भी संस्थान न तो लाइसेंस पा सकेगा और न ही उसका नवीनीकरण किया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा जारी शासनादेश में बताया गया है कि गृह विभाग के विशेष प्रधान सचिव ही अब पूरे राज्य में इन संस्थानों को लाइसेंस देने के लिए नियंत्रण प्राधिकारी होंगे। इस आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जो संस्थाएं बिना लाइसेंस के चल रही हैं, उन्हें छह महीने की मोहलत दी जाएगी। इसके बाद पीएसएआर अधिनियम की धारा २०(२) के तहत २५,००० रुपए तक जुर्माना और लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई तक होगी। सुरक्षा मुहैया करानेवाली एजेंसियों को अब सभी प्रशिक्षण संस्थानों को हर तीन महीने में सफल प्रशिक्षुओं की सूची भेजनी होगी और सभी अभिलेख कम से कम तीन साल तक सुरक्षित रखने होंगे। साथ ही जिला पुलिस अधीक्षक या जोनल डीसीपी द्वारा साल में दो बार औचक निरीक्षण होगा। महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी किए गए सख्त एसओपी के बाद मुंबई समेत राज्य में सैकड़ों की संख्या में मौजूद निजी सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया है। अब बिना निर्धारित ट्रेनिंग, योग्य प्रशिक्षकों और प्रमाणपत्र के किसी भी सुरक्षा गार्ड को नियुक्त नहीं किया जा सकेगा। साथ ही प्रशिक्षण संस्थाओं को लाइसेंस मिलने की प्रक्रिया भी पहले से कहीं ज्यादा कठिन और पारदर्शक बना दी गई है।

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