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मुंबई : तीन साल के दिव्यांश सिंह की बस इतनी-सी गलती थी कि वह बुधवार की रात गोरेगांव के अंबेडकर नगर स्थित खोली से सामान खरीदने निकले पिता सूरजभान सिंह को ढूंढते-ढूंढते घर से निकल कर मेन रोड पर आ गया था। उसे पिता तो नहीं मिले लेकिन वह खुद कहां चला गया यह अभी तक किसी को पता नहीं चल पाया है। हालांकि, पुलिस और बीएमसी अभी भी उसकी तलाश में जुटे हैं। करीब तीन दिन तक युद्धस्तर पर गटर, सीवर, नाला, मैंग्रोव और समंदर की खाक छान मारने के बाद मुंबई फायर ब्रिगेड ने खोजबीन अभियान बंद कर दिया। दिव्यांश का सुराग नहीं मिलने पर एनडीआरएफ ने भी राहत और बचाव से हाथ पीछे कर लिए, लेकिन बीएमसी और मुंबई पुलिस को आस है कि दिव्यांश कहीं न कहीं जरूर मिल जाएगा। 

मुंबई पुलिस के जोन-12 के डीसीपी डॉ. विनय कुमार राठौड़ अपने वरिष्ठ अधिकारी अडिशनल सीपी दिलीप सावंत के मार्गदर्शन में दिंडोशी पुलिस और जोन-12 के सैकड़ों पुलिसकर्मियों की मदद से रात-दिन बच्चे को ढूंढने में लगे हैं। बीएमसी के अधिकारियों ने भी मातहत कर्मचारियों के साथ सफाईकर्मियों की मदद से दिव्यांश को पांचवें दिन यानी रविवार को हर उन जगहों पर तलाश किया जहां उसके होने की संभावना है। 

पिता सूरजभान सिंह बीएमसी को लापरवाह मानकर स्थानीय बीएमसी के अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। समाजसेवी श्रवण तिवारी की अगुवाई में दिव्यांश के परिजन दिंडोशी पुलिस परिसर में अनशन पर बैठ गए हैं। उनकी मांग है कि दिव्यांश को प्रशासन खोज कर लाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज हो। 

वहीं, पुलिस के उच्चाधिकारियों को शक है कि दिव्यांश के बहाने कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं, जबकि सरकारी तंत्र बच्चे को खोजने में अभी भी जुटी है। कुल मिलाकर पांच दिन बीत जाने के बाद भी अब तक प्रशासन को दिव्यांश का सुराग नहीं लगा है। गौरतलब है कि बुधवार की रात 10:24 बजे दिव्यांश गटर में गिर कर लापता हो गया था। वह गोरेगांव के अंबेडकर नगर में परिजन के साथ रहता था। 


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