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मुंबई : फिरौती के लिए अपहरण, गुमशुदगी और घर से भागना जैसे करीब 850 से ज्यादा केस सुलझाने वाले मुंबई पुलिस के नाईक राजेश पांडेय को महकमा देवदूत के नाम से जानता है। इस काम के लिए उन्हें कई सम्मान मिल चुके हैं। अभी वह मुंबई के अंधेरी पुलिस थाने में कार्यरत हैं। देश भर से चुने गए 40 पुलिसकर्मियों में एक राजेश पांडेय भी हैं, जिन्हें दिल्ली पुलिस द्वारा हाल ही में विशिष्ट सेवा कार्य के लिए सम्मानित किया गया। उत्तर प्रदेश के जौनपुर निवासी पांडेय 1993 में मुंबई पुलिस में एक सिपाही के तौर पर शामिल हुए। 1998 में अपने पुलिसकर्मी पिता की मौत के बाद उन्होंने लीक से हटकर काम करने की जिद पकड़ी। आज कल गुमशुदगी की ज्यादातर घटनाएं माता-पिता से बच्चों की नाराजगी के चलते देखने को मिलती है। इसके बाद साजिश और अन्य कारण शामिल होते हैं। 

पांडेय बताते हैं, 'उस दौरान मैं सांताक्रूज पुलिस थाने में तैनात था। एक नाबालिग बेटे की गुमशुदगी का मामला उसकी मां ने दर्ज कराया। मुखबिर से सूचना मिलने पर मैं यूपी के जौनपुर गया, जहां उस बच्चे को आपसी रंजिश के चलते उसके पिता ने ही अपहरण करके रखा हुआ था। मैं 15 दिन के अंदर बेटे को पिता की कैद से छुड़ा पाया। उसके बाद से लापता लोगों को तलाश करने में मेरी रुचि बढ़ गई। फिर गुमशुदगी के केस सुलझाने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह आज भी जारी है।' 

वह कहते हैं, मोबाइल नंबर से मिली लोकेशन, व्यक्तिगत संपर्क और लापता लोगों को धैर्य के साथ खोजने की चुनौती गुमशुदगी से संबंधित जटिल से जटिल मामले को सुलझाने में कारगर होती है।’ मुंबई, राजस्थान, गुजरात, ओडिशा, बंगाल, बिहार, झारखंड, नेपाल से लेकर देश के करीब-करीब हर राज्यों से गुमशुदा लोगों को तलाश कर चुके हैं। इसलिए अब मुंबई पुलिस इन्हें सिर्फ गुमशुदगी के जटिल मामले ही सुलझाने के लिए देती है। 


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