७ की मौत २५६ अस्पताल में, किलर गर्मी
मुंबई : वर्तमान में धूप और उमस से बेहाल मुंबईकरों के लिए कोई राहत की खबर नहीं मिलती दिखाई दे रही है। मुंबई में उमस अभी और भी कई दिन लोगों को सतानेवाली है। हवा में मौजूद आद्रता पारे को भले ही बढ़ने ना दे लेकिन इसके बावजूद पारा ३३ से ३४ डिग्री के बीच बना रहेगा। मौसम विशेषज्ञ दिनेश मिश्रा ने बताया कि आज हल्की-फुल्की बारिश हो सकती है लेकिन तापमान पर इसका कोई असर नहीं होगा। एक सप्ताह तक पारा और उमस यू हीं बना रहेगा।
मुंबई सहित पूरा महाराष्ट्र इन दिनों गंभीर जल संकट के साथ ही प्रचंड गर्मी की मार झेल रहा है। हैरान, परेशान लोगों को इस गर्मी की काट समझ में नहीं आ रही है। मुंबईकर जहां उमस भरी गर्मी से बेहाल हैं, वहीं महाराष्ट्र के ग्रामीण भागों में किलर गर्मी का प्रकोप लोगों की जान ले रहा है। राज्य के कई क्षेत्रों में पारा ४४ से ४६ डिग्री के बीच बना हुआ है। उबाल मारती गर्मी और लू की चपेट में आने के कारण १५ मार्च से लेकर अब तक ७ लोगों की अकाल मौत हो चुकी है, जबकि २५६ लोग अस्पताल पहुंच चुके हैं। आनेवाले दिनों में इस आंकड़े के और भी बढ़ने की आशंका जताई जा रही है क्योंकि मई का पूरा महीना बाकी है। मौसम विभाग की मानें तो इस बार बारिश भी देरी से होने की संभावना बनी हुई है। ऐसे में अकोला, नागपुर, बीड, धुले, संभाजीनगर आदि जिलों में रहनेवाले लोगों के लिए यह किसी दुख के पहाड़ से कम नहीं है।
बता दें कि कई जिलों में चढ़ता पारा लोगों को पस्त कर रहा है। चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़े इंसान के शरीर को झकझोर कर रख दे रहे हैं। हद तो तब हो गई जब गर्मी के चलते लोगों को अपनी जानें गंवानी पड़ रही हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग के स्वास्थ्य निरीक्षण अधिकारी डॉ. प्रदीप आवते ने ‘दोपहर का सामना’ को बताया, ‘राज्य में सबसे अधिक हीट स्ट्रोक के मामले नागपुर से हैं, जहां १०७ लोग अब तक गर्मी का शिकार होकर अस्पताल पहुंच गए हैं। लगभग १०३ मामले अकोला से हैं। इसके बाद लातूर और नाशिक में कई लोग गर्मी के प्रकोप के चलते खटिया पकड़ चुके हैं, जबकि यह जानलेवा गर्मी अभी तक ७ लोगों की बलि ले चुकी है।
क्या है हीट स्ट्रोक?
हीट स्ट्रोक ऐसी अवस्था है, जिसमें पीड़ित के शरीर का तापमान अत्यधिक धूप या गर्मी की वजह से बढ़ने लगता है। हीट स्ट्रोक की स्थिति में शरीर की प्राकृतिक कूलिंग सिस्टम सुचारू रूप से काम करना बंद कर देता है, जिसकी वजह से शरीर का तापमान कम नहीं हो पाता जिसके परिणामस्वरूप शरीर का तापमान बढ़ता जाता है और अगर सही समय पर इलाज नहीं करवाया तो मरीज की जान भी जा सकती है।